सुन्दर है सिणगार श्याम को जँच रह्यो है,
आज सलूणों श्याम रंगीलो लग रह्यो है ।। टेर ।।
तर्ज – रेश्मी सलवार कुर्ता ।
चमकणियो बागो चमके, और चमके हार हजारी,
यो तीन बाण कर धारी, है लीले की असवारी,
कैसो फब रह्यो है ।। सुन्दर है सिणगार श्याम को … १ ।।
बाँकी सी इनकी झाँकी, भगतां क मन न भाव,
देखी जो छटा निराली, जन्नत भी खड़ी लजाव,
सुन्दर लग रह्यो है ।। सुन्दर है सिणगार श्याम को … २ ।।
दरबार निरालो अंको, श्री श्याम रूखालो सबको,
‘सुरेश’ दीवानो बणज्या, फिर देख तूँ अंको फिड़को,
कैसो जम रह्यो है ।। सुन्दर है सिणगार श्याम को … ३ ।।