जद जद मैं आँख्यां मीचूं बाबा थांने देखूं,
म्हारा सांवरिया थांने तो, मैं पलकां पर राखूं ।। टेर ।।
तर्ज – हनुमान को खुश करना ।
हिवड़े के आसण पर थारो ही वास है,
थारो नाम जपे बाबा मेरी हर साँस है,
थारा दरसण तांई मैं अन्तर्मन मं झांकू ।। जद …. ।।
मेरा होंठ खुले बाबा थारो नाम आवे है,
जद सोवूं तो मन्ने थारो सुपणो आवे है,
नीन्दड़ली में भी बाबा मैं थांने ही खोजूं ।। जद …. ।।
मैं कुण सो पुण्य करयो मेरो बाबो सागे है,
मैं पीछे-पीछे चालूं वो आगे आगे है,
थांसू यो कैसो नातो मैं पल-पल या सोचूं ।। जद …. ।।
म्हारो खाटू को राजा दीनां को नाथ है
मैं जाण गयो सिर पे बस यांको हाथ है
थारे ‘हर्ष’ ने थे कहद्यो, मैं थारो के लागूं ।। जद …. ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी