मुझे जबसे है अपना बनाया श्याम ने,
मेरी ज़िन्दगी को रंगों से सजाया श्याम ने,
जिसे ठुकराया सारे संसार ने,
उसे पलकों पे अपने बिठाया श्याम ने ।। टेर ।।
तर्ज – मेरी ज़िन्दगी में तुमसे बहार साँवरे ।
जब हो गया खिलाफ ये ज़माना था, ये ज़माना था,
ना ठिकाना था, ना जीने का बहाना था, ना बहाना था,
हर अपना भी बना बेगाना था, बेगाना था,
तब अपना हाथ बढ़ाया श्याम ने ।। १ ।।
मुझे पूरा है भरोसा तेरा साँवरे, हाँ साँवरे,
तेरे होते ना डूबेगी मेरी नाव रे, मेरी नाव रे,
मेरी ज़िन्दगी की हर एक दाव रे, एक दाव रे,
आ के हारी हुई बाज़ी को जिताया श्याम ने ।। २ ।।
मुझपे किरपा तेरी भरपूर है, भरपूर है,
तू पास है तो ग़म कोसों दूर है, हाँ दूर है,
जो भी माँगा मुझे, मिला वो जरूर है, वो जरूर है,
मुझे खाली ना कभी भी लौटाया श्याम ने ।। ३ ।।
तेरे बिन क्या है मेरी औकात रे, औकात रे,
जैसे चाँद के बिना हो कोई रात रे, कोई रात रे,
रहना साँवरे सदा तू मेरे साथ रे, मेरे साथ रे,
‘माधव’ मेरी प्रीत को निभाया श्याम ने ।। ४ ।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी