सांवरिया दरसण दीज्यो जी,
देखां खाटू को नजारो बाबा श्याम, सांवरिया दरसण दीज्यो जी ।। टेर ।।
तर्ज – कागलियो ।
आँखड़ल्यां झुर-झुर बरसे जी, एक झलक न ये तेरसेजी,
म्हाने एकर थे बुलाज्यो बाबा श्याम, सांवरिया,
कानुड़ा मनड़ो नहीं लागे उचक-उचक कर इत उत भाजे …. ।।
म्हांने धीर बंधाद्यों बाबा श्याम सांवरिया,
सांवलशाह आँख्यां फड़के जी आयीज्यो तड़के-तड़के जी,
‘हर्ष’ चरणां से लेवो थे लगाय सांवरिया …. ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी