बैठा है मन्दिर में देखो, श्याम लगाकर के ताला,
जावो कोई पूछ के आवो, कैसा है खाटूवाला ।। टेर ।।
तर्ज – भला किसी का कर ना सको तो ।
भक्तों के बिन श्याम धणी का, दिल कैसे लगता होगा,
कब कोई प्रेमी पास बुलाले, रातों को जगता होगा,
क्या अपनी भी देख रेख़, रखता है अपना रखवाला ।। १ ।।
कब खोलेगा द्वार वो फिर से, कोई खबर ये ले आवो,
या फिर खाटूवाले को, अपने घर पर ही ले आवो,
पाँव पकड़ लेना कसके जो, आने से उसने टाला ।। २ ।।
हर प्रेमी मजबूर हुए हैं, वक्त का ऐसा झोंका है,
लीले चढ़कर आ जायेगा, श्याम को किसने रोका है,
‘सचिन’ जपे है नाम की माला, होके जग ये मतवाला ।। ३ ।।