मेरे खाटूवाले बाबा का, लो आज जन्मदिन आया है,
ढप ढोल नगाड़े बाज रहे घर-घर में आनन्द छाया है ।। टेर ।।
तर्ज – दुनिया में दर्द हजारों हैं ।
कलयुग का देव निराला है, ये भगतों का रखवाला है,
ये उसकी बाँह पकड़ लेता, जो शरण श्याम की आया है ।। १ ।।
हारे का यही सहारा है, ये दीन दुःखी रखवारा है,
जिसने भी मन से नाम लिया, इसे पल में हाजिर पाया है ।। २ ।।
पांडव कुल का ये वंशज है, निर्बल निर्धन का रक्षक है,
माता को जो संकल्प दिया इसने वो वचन निभाया है ।। ३ ।।
सब लोग बधाई बाँट रहे खुशियों से सारे नाच रहे,
ऐ ‘हर्ष’ लगा तूं भी ठुमका, नाचण का मौसम आया है ।। ४ ।।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल (हर्ष) जी