केशरिया, रंग बसन्ती लागा,
मन झूमै, मन नाचै,
मन गावै श्याम तराना, रंग बसन्ती लागा रे ।
तर्ज – बन्ना रे, बागां मँ झूला घाल्या ।
झूलै रे, श्याम मगन हो झूलै,
झूलै पर – ३ फूल बरसाना, रंग बसन्ती लागा रे ।
भगतों रे, श्याम रंग, रंग जावो,
बन जावो – ३, श्याम दीवाना, रंग बसन्ती लागा रे ।
कीर्तन में, सब मिल घूमर घालो,
बाबा को – ३, खूब रिझाना, रंग बसन्ती लागा रे ।
कहे ‘रवि’, श्याम प्रभु घर आये,
दर्शन का – ३, पुण्य कमाना, रंग बसन्ती लागा रे।