कोई जब जहाँ में तुम्हारा ना हो,
कोई साथी संगी सहारा ना हो,
तब याद करना मेरे श्याम को,
ये हरदम खड़ा है खड़ा ही रहेगा,
तुम्हारे लिए,
कोई जब जहां में तुम्हारा ना हो,
कोई साथी संगी सहारा ना हो ।।
तर्ज – कोई जब तुम्हारा ह्रदय ।
अभी तुमको इनकी जरूरत नहीं,
बहुत चाहने वाले है जो तेरे,
मगर कल की किसको खबर बांवरे,
बिछड़ जाए घर वाले है जो तेरे,
ना जाने वो दामन छुड़ाने लगे,
वापस कदम को बढ़ाने लगे,
तब याद करना मेरे श्याम को,
ये हरदम खड़ा है खड़ा ही रहेगा,
तुम्हारे लिए,
कोई जब जहां में तुम्हारा ना हो,
कोई साथी संगी सहारा ना हो ।।
तुम्हें ना मिले रोशनी गर कहीं,
अंधेरों से डरने की क्या बात है,
साहिल मिलेगा यकीनन तुम्हें,
लहरों से डरने की क्या बात है,
नैया तुम्हारी रुकेगी नहीं,
तूफां के आगे झुकेगी नहीं,
तब याद करना मेरे श्याम को,
ये हरदम खड़ा है खड़ा ही रहेगा,
तुम्हारे लिए,
कोई जब जहां में तुम्हारा ना हो,
कोई साथी संगी सहारा ना हो ।।
तू उनके सहारे को छोड़ दे,
जिनके सहारे पे तू जी रहा,
नादाँ ये प्याला है विष से भरा,
अमृत समझकर जो तू पी रहा,
गम की तुम्हें अगर झरोके मिले,
अपनों से ‘माधव’ जो धोखे मिले,
तब याद करना मेरे श्याम को,
ये हरदम खड़ा है खड़ा ही रहेगा,
तुम्हारे लिए,
कोई जब जहां में तुम्हारा ना हो,
कोई साथी संगी सहारा ना हो ।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी