वरना क्या जरुरत थी, हारे के सहारे की भजन लिरिक्स

Varna Kya Zaroorat Thi Haare Ke Sahare Ki Lyrics

नहीं किसी में इतना दम जो, सुणले हारे की,
वरना क्या जरुरत थी, हारे के सहारे की ।। तेरा ।।

तर्ज – उस बांसुरीवाले की ।

हारे की नैया को, छूने से डरते हैं,
सब किस्मत वालों की, पतवार पकड़ते हैं,
मझधार में भटक रही, देखो नाम बेचारे की ।। वरना ।।

सबने अपना अपना, मन्दिर बणवाया है,
हारे का सहारा हूँ, किसने लिखवाया है,
इतनी हिम्मत केवल, बाबा के द्वारे की ।। वरना ।।

ये नाम मिला इसको देखो सर को कटा करके,
इस नाम ने रख डाला, हर नाम मिटा करके,
यहाँ गर्दन झुकती है, जग के रखवारे की ।। वरना ।।

श्री कृष्ण ने खुश होकर, इसे अपना नाम दिया,
‘बनवारी’ इसपे नहीं, खुद पे एहसान किया,
इज्जत बढ़ गयी देखो, उस मोहन प्यारे की ।। वरना ।।

लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी