कन्हैया रुलाते हो, जी भर रुलाना,
मगर आँसूओं में, नजर तुम ही आना ।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर, तुम्ही मेरी पूजा ।
तुम्हारे है ये चाँद, तारे हँसाओ,
तुम्हारे है ये जग के, नजारे हँसाओ,
दशा पर मेरी सारे, जग को हँसाना,
मगर उस हँसी में, नजर तुम ही आना ।।
ये रो-रो के कहते हैं, तुमसे पुजारी,
क्यों फरियाद सुनते, नहीं तुम हमारी,
दया के समन्दर हो, दया अब दिखाना,
मगर उस दया में, नजर तुम ही आना ।।
हो कितनी ही विपदा, ना विश्वास टूटे,
लगन श्याम चरणों की, मन से ना छूटे,
भले ही अनेकों, पड़े जनम पाना,
मगर हर जनम में, नजर तुम ही आना ।।