भगवान मेरी अटकी नैया ने पार उतारो जी लिरिक्स

Bhagwan Meri Atki Naiya Ne Paar Utaro Ji Lyrics

भगवान मेरी अटकी नैया ने पार उतारो जी,
गहरी नदियां नाव पुरानी, दूर किनारों जी ।। टेर ।।

तर्ज – कुण जाणे या माया श्याम की ।

चंचल धार उछला मारे, लागे खूब थपेड़ा जी,
बैठ्या दूर तन्ने सब सूझे, भव जल माहीं बेड़ा जी,
थारै बिना म्हारो कृष्ण मुरारी, कुण रखवारो जी ।। १ ।।

सनन-सनन कर सीली-सीली, पवन चले पुरवाई जी,
काले-काले बादलियां का, भर-भर गाडा ल्यायी जी,
आप सनाथ-अनाथ बाहँ धर, विपदा टारो जी ।। २ ।।

लम्बा-लम्बा पेड़ जिणां की, डाल-डाल थर्रायी जी,
पशु-पक्षी सब नरबस होगा, थारी आस लगायी जी,
मधुसूदन, मुरलीधर, मोहन, कारज सारो जी।। ३ ।।

रुकी पवन झट चाल्या चप्पू, हिम्मत मन में आयी जी,
कृपा सिन्धु करुणा निधान प्रभु, ‘काशी’ लाज बचायी जी,
बादल भयो कपूर चन्दन सो, भयो उजियारो जी ।। ४ ।।

लिरिक्स – काशीराम जी