अँसुवन की लगी जब झड़ी, श्याम आया उसी ही घड़ी,
ओ श्याम के आगे जब हार के, श्याम बाबा पुकारा कोई,
लीनी आके खबर उस घड़ी – २, श्याम आया उसी ही घड़ी ।। टेर ।।
तर्ज – जिन्दगी की न टूटे लड़ी ।
खाटू वाले से लौ तूं लगा, दुनियांदारी में रखा है क्या,
जब कृपा तुझपे लगे बरसने, फिर से देखना होता है क्या,
जब जुड़े तेरे दिल की कड़ी – २, श्याम आया उसी ही घड़ी ।। १ ।।
तूं पुकारेगा जब भी उसे, आयेगा वो गरूड़ छोड़के,
अपनी बीती सुनाना उसे, दिल के भावों को तूं जोड़के,
श्याम की जब खुमारी चढ़ी – २, श्याम आया उसी ही घड़ी ।। २ ।।
अपने भावों में तूं डूबकर, श्याम सागर में गोता लगा,
‘आलू सिंह’ की सुनायी करे, ‘दास गाडिया’ दिल की दवा,
‘श्याम बहादुर’.’शिव’ पगड़ी धरी – २, श्याम आया उसी ही घड़ी ।। ३ ।।
लिरिक्स – शिव चरण जी भीमराजका