सम्हालो दास को दाता, मेरी सुध क्यों भुलायी है,
ना जाने आज क्यों फिर से, तुम्हारी याद आयी है ।। टेर ।।
तर्ज – मुझे तेरी मुहब्बत का ।
नजर क्या तुमसें टकरायी, ये नाजुक दिल लूटा बैठे,
इशारा क्या किया तूँ ने, जो हम खुद को भुला बैठे,
मुकर जावोगे वादे से, तो भक्तों की दुहायी है ।। १ ।।
जमाना रूठ जाये पर न रूठो तुम मेरे दाता,
पुराना जन्म जन्मों का, कन्हैया आप से नाता,
निगाहें याद से तेरी, सितमगर बाज आयी है ।। २ ।।
सबर की हो गयी हद अब, सहा जाता नहीं प्यारे,
नजर दिलदार से ज्यादा, कोई आता नहीं प्यारे,
तुम्हारे द्वार पे ‘काशी’ ने प्रभु पलकें बिछायी है ।। ३ ।।