नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,
और चरण हो राघव के जहाँ मेरा ठिकाना हो ।। टेर ।।
लक्ष्मण सा भाई हो कौशल्या सी माई हो – २,
और स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो ।। १ ।।
हो त्याग भरत जैसा सीता सी नारी हो – २,
और लवकुश के जैसी संतान हमारी हो ।। २ ।।
श्रद्धा हो श्रवण जैसी शबरी सी भक्ति हो – २,
और हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो ।। ३ ।।
मेरी जीवन नैया हो प्रभु राम खेवैया हो – २,
और राम कृपा की सदा मेरे सर छय्या हो ।। ४ ।।
सरयू का किनारा हो निर्मल जल धारा हो – २,
और दरश मुझे भगवन हर घड़ी तुम्हारा हो ।। ५ ।।