म्हारे मन की पीड़ा न थानै ही मिटानो है,
उलझन म्हारी जो भी है थाने सुलझाणों है ।। टेर ।।
तर्ज़ – कृष्ण जाने या माया श्याम की ।
दीन दु:खी को मीत सांवरों सबनै गले लगावे है,
म्हारी बगियाँ रूठ के बैठ्यो क्यूं तू देर लगावे है,
घाव है जो भी म्हारे बाबा मरहम लगानों है ।। १ ।।
स्वारथ को संसार यो बाबा सोच सोच घबराऊं मैं,
कहनो थानै जो भी चाहूँ कहने म सकुचाऊँ मैं,
बिन बोल्या ही थे सब जाणे पीड़ भगानो है ।। २ ।।
थांसो मालिक थांसो संगी और कठै म्हे पावां जी,
थें ही म्हारा ईष्टदेव हो थानै ही म्हे बतावां जी,
‘मित्र मंडल’ के टाबरिया की लाज बचाणों है ।। ३ ।।