मेंरो मन लग्यो बरसाने में,
जहाँ विराजे राधा रानी,
मन हट्यो दुनियाँदारी से,
मन हट्यो दुनियाँदारी से,
जहाँ मिले खारा पानी,
मुझे दुनियाँ से नही कोई काम,
मैं तो रटू राधा राधा नाम,
दर्शन करू सुबह शाम,
मेंरे मन में विराजे श्याम दीवानी,
जहाँ विराजे राधा रानी ।।
मेंरे मन में ना लागे कोई रंग,
मैं तो रहूँ संतन के संग,
मेंरे मन में बढ़त उमंग,
बरसाना बृज की राजधानी,
जहाँ विराजे राधा रानी ।।
मुझे दुनियाँ से नही लेना देना,
ये जगत है एक सपना,
यहा कोई नही अपना,
मेंरी अपनी ब्रषभान दुलारी,
जहाँ विराजे राधा रानी ।।