किशोरी तेरे चरणन की रज पाऊँ।
बैठी रहूँ कुन्जन के कोने,
श्याम राधिका गाऊँ,
बैठी रहूँ कुन्जन के कोने,
श्याम राधिका गाऊँ,
किशोरी तेरे चरनन की रज पाऊँ।
या रज को ब्रम्हादिक तरसत ,
सौ रज शीश नवाऊ,
या रज को ब्रम्हादिक तरसत,
सौ रज शीश नवाऊ,
किशोरी तेरे चरनन की रज पाऊँ।
व्यास स्वामिनी की छवि निरखूँ ,
विमल-विमल जस गाऊँ,
व्यास स्वामिनी की छवि निरखूँ,
विमल-विमल जस गाऊँ,
किशोरी तेरे चरनन की रज पाऊँ।
लिरिक्स – श्री हरिराम व्यास जी