एक बार आजा दादी, तुझको निहार ल्यूं,
मनड़े मं दादी थारी, मूरत उतार ल्यूं ।। एक बार….
तर्ज – छुप गया कोई रे ।
अब तो बता दे कांई, दोष है मेरो,
सामने खड़ी है दादी, अपराधी तेरो,
चरणां ने आगे करदे, आँसू से पखार ल्यूं ।। मनड़े….
बतियाँ बणावे म्हारी, दुनियां दिवानी,
कालजे री पीड़ा म्हारी, कोई ना पिछाणी,
मन को गुबार दादी, कहवे तो उतार ल्यूं ।। मनड़े….
अंजाण रस्तो, छायो अंधियारो,
थारे बिना दादी म्हारो, कोई ना सहारो,
ज्योति को उजालो दे दे, राह निहार ल्यूं ।। मनड़े….
‘मगन’ तिहारो दादी, कांई तो विचारो,
निर्मोही दादी म्हारी, ओर तो निहारो,
चरणां की धूल दे दै, पलका से बुहार ल्यूं ।। मनड़े….
लिरिक्स – मगन जी