हर बार कुछ गजब सा, दीखता है कुछ अलग सा लिरिक्स

Darbar Shyam Ka Lyrics

हर बार कुछ गजब सा, दीखता है कुछ अलग सा,
दरबार श्याम का, दरबार श्याम का।।

देखो कोई खड़ा है, हाथों में चवर लेके,
कोई पीछे है खड़ा, एकटक श्याम को देखे,
धुलता है प्रेमियों के, कभी प्रेम आंसुओं से,
दरबार श्याम का, दरबार श्याम का।।

किस्मत सजाने वाला, खुद पहले सज रहा है,
जरा गौर से तो देखो, क्या खूब लग रहा है,
कभी श्वेत कभी पीला, सतरंग कभी हरा है,
दरबार श्याम का, दरबार श्याम का।।

बजते है चंग जमके, होता गजब नजारा,
बनते है काम सबके, लगता है जब अखाडा,
जो सोच तुम रहे हो, उससे कई बड़ा है,
दरबार श्याम का, दरबार श्याम का।।