भाव सुमन ले कर गुरुवर के, सन्मुख जा अर्पण करना ।
हाथ झोड़कर करो वन्दना, शीश चरण आगे धरना ।
ये ही ब्रह्मा, ये ही विष्णु, ये महेश ईश्वर रचना ।। टेर ।।
तर्ज – फूल तुम्हें भेजा है ।
मैं अज्ञानी जनम-२ का, आप ज्ञान के सागर हो ।
आया हूँ मैं शरण आपकी, आप बड़े करुणा कर हो ।
हरो मेरा अज्ञान दयालु, ज्ञान की ज्योत जगा देना ।। १ ।।
भटक रहा हूँ अंधियारो में, राह नहीं मैं पाता हूँ ।
फिर – २ के मैं जहाँ खड़ा था, वापिस वहाँ आ जाता हूँ ।
मंजिल कहां किधर है जाना, राह मुझे दिखला देना ।। २ ।।
जो चाहो गुरुवर से कहना, तेरी अरजी सुन लेंगे ।
गुरु कृपा हो जाये अगर तो, मन में मस्ती भर देंगे ।
गुरु का स्मरण ब्रह्म का वंदन ‘सांवर’ नित करते रहना ।। ३ ।।
लिरिक्स – सांवर जी