अपने चरणों की रज साँवरे दीजिये,
ज़िन्दगी ये हमारी सँवर जाएगी ।।
लाख अवगुण भरे हैं गिनायें तो क्या,
शर्म खुद पे बहुत है बतायें तो क्या,
माफ़ गर ना करोगे दयालु हमें,
ज़िन्दगी ये हमारी बिखर जायेगी ।। १ ।।
आप दाता दयावान दानी बड़े,
कितने पापी चरण रज को पाके तरे,
महिमा चरणों की भगवन है मालूम हमें,
राह सत्संग की हमको भी मिल जायेगी ।। २ ।।
अब निभालो निभालो कन्हैया हमें,
अपने चरणों से अब तो लागलो हमें,
‘नन्दू’ वादा करे साँवरे हम खड़े,
उर्म दर पे तुम्हारे गुज़र जायेगी ।। ३ ।।
लिरिक्स – नन्दू जी