मनगरिया श्याम, म्हांरे घरां आवो जी,
कान्हां आकर के, दरश दिखावो जी ।। टेर ।।
तर्ज – कानुड़ा लाल घड़लो म्हांरे ।
कितने दिनां सूं थारी, आस लगी है,
मन में लगन दर्शन की, प्यास जगी है,
(ओ प्यारे) आकर के पीड़ मिटावो जी ।। मनगरिया …. ।। १ ।।
करूणा का सागर, आप हो कहावो,
फिर क्यूं हे भगवन, इतणों सतावो,
(मेरे) दाता दया दिखलावो जी ।। मनगरिया …. ।। २ ।।
तेर आण से मेरो मान बढ़ेगो,
आपस मं दोनुवां को रंग जमेंगो,
फिर क्यूं हे श्याम शरमावो जी ।। मनगरिया …. ।। ३ ।।
चरण कमल पें जाऊँ बलिहारी,
आकर के प्यास नाथ बुझावो हमारी,
‘सांवर’ की आस पुरावो जी ।। मनगरिया …. ।। ४ ।।
लिरिक्स – सांवर जी