सत्गुरु रखना मेरी लाज,
शरणागत् वत्सल हे स्वामी, दया करो महाराज ।। टेर ।।
तर्ज – फकीरी अलबेला को ।
ज्ञान निधि साम्रथ मेरे दाता, दया करो हे स्वामी,
भाव जानते सबके दिल के, आप हो अन्तर्यामी,
कृपा करो हे धाम दया के, सफल करो मम काज ।। सत्गुरु …. ।।
ज्ञान भक्ति ना ध्यान समाधी, ना पूजा हो पाती,
कभी गया ना सत्संगत में, बना फिरा उन्मादी,
ज्ञान ज्योति का कर उजियारा, हरो मेरा उन्माद ।। सत्गुरु …. ।।
सिर पे हाथ धरो गुरु मेरे, दीन जान अपनावो,
भवसागर में भटक रहा हूँ, नैया पार लगावो,
‘सांवर’ सदा – २ गुणगाये, टूटे ना विश्वास ।। सत्गुरु …. ।।
लिरिक्स – सांवर जी