जब से कन्हैया ने, मुझे अपनाया है,
मेरे संग संग रहता, साँवरे का साया है ।। टेर ।।
तर्ज – तेरे जैसा यार कहाँ ।
कल तक जो जिन्दगी में, मेरे ख्वाब थे अधूरे,
तेरी दया से बाबा, वो हो रहे हैं पूरे,
तूंने जब से सिर पे, हाथों को फिराया है ।। १ ।।
तेरे फैसेल के आगे, तकदीर सर झुकाये,
करता है साँवरा जो, कोई भी कर ना पाये,
काँटो के बगीचे में, फूलों को खिलाया है ।। २ ।।
जीने को जी रहे थे, पर बात कुछ नहीं थी,
तेरे बिना हे ‘माधव’, औकात कुछ नहीं थी,
दुःख में भी सुख का मुझे, स्वाद चखाया है ।। ३ ।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी