धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा,
जहा जाइएगा हमे पाइएगा।।
तर्ज – अजी, रूठ कर अब कहाँ जाइएगा।
है जन्मो जनम का ये रिश्ता हमारा,
ये दुनिया भी जाने लगे सबको प्यारा,
गुज़ारिश है अब ना छिटकाइएगा,
धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा।।
लगन एक तेरी हो बस श्याम प्यारे,
वो चिंतन हमेशा तुम्हे ही निहारे,
कभी हम न टूटे किरपा बरसाइएगा,
धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा।।
सदा तेरी छाया में बैठु सुरक्षित,
ना चिंता कोई भी में रहता व्यवस्तित,
ये चलता रहे ठाकुर निभाईएगा,
धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा।।
खता बन्दापरवर हमी से ही होगी,
सुधर राह स्वामी तुम्ही से मिलेगी,
क्या करना हमे कुछ तो फरमाइएगा,
धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा।।
जो रूठे कभी तो उजाला ना होगा,
ये बालक किसे फिर अपना कहेगा,
शरण धूलि दे कर के अपनाइएगा,
धणी रूठ कर अब कहा जाइएगा।।
लिरिक्स – सज्जन जी सिंघानिया