दर दर भटकने वाले, बाबा से दिल लगाले,
जीवन की नाव अपनी, कर श्याम के हवाले।।
तर्ज – वो दिल कहा से लाऊ।
दर दर पे भटकने से, कुछ भी नही मिलेगा,
जख्मों पे तेरे मरहम, बस श्याम ही मलेगा,
आकर दिखा प्रभु को, अपने जिगर के छाले,
दर दर भटकने वाले, बाबा से दिल लगाले।।
सुख की घड़ी मे तुझको, सब बाहों मे भरेंगे,
दुख की घड़ी मे तुझसे, सब फासला करेगे,
मौका परस्त है ये, सारे जमाने वाले,
दर दर भटकने वाले, बाबा से दिल लगाले।।
इनकी शरण मे आकर, महफूज तुम रहोगे,
इनकी कृपा को पाकर, मजबूत तुम बनोगे,
ये सौ कदम बडेगा, तू दो कदम बढ़ाले,
दर दर भटकने वाले, बाबा से दिल लगाले।।
‘माधव’ जरा संभल जा, दुनिया बड़ी बुरी है,
लब पे शहद है इनके, और हाथ मे छुरी है,
चेहरे के साफ जितने, उतने ही मन के काले,
दर दर भटकने वाले, बाबा से दिल लगाले।।
लिरिक्स – अभिषेक शर्मा (माधव) जी