थां बिन म्हारी आँख्यां हो गई बावळी लिरिक्स

Tha Bin Mhari Aakhya Lyrics

थां बिन म्हारी आँख्यां हो गई बावळी,
ई टाबर कै मन मं बस गई, (सूरत थारी साँवळी) – 2।।

तर्ज – खड़ी नीम के नीचे मैं तो एकली / थाली भर के।

हिवड़ो म्हारो सूनो डोलै, डगमग झोला खावै है,
आँखडल्या बिरहा की मारी, आँसूड़ा टपकावै है,
कैंया चलसी थां बिन, म्हारी गाडली,
ई टाबर कै मन मं बस गई, (सूरत थारी साँवळी) – 2।।

मीरां पर किरपा किन्ही थी, सुणबा आई बातड़ली,
दास थारो यो आस लगायां, खड्यो उडीकै बाटड़ली,
प्रेम जाम सैं भर दयो, म्हारी बाटली,
ई टाबर कै मन मं बस गई, (सूरत थारी साँवळी) – 2।।

पैल्यां प्रीत लगाय के थे, क्यूँ छोड़ों मझधार जी,
प्रेमभाव को पाठ पढ़ाकर, मत बिसरो दिलदार जी,
मन मं रम गई सूरत थारी साँवळी,
ई टाबर कै मन मं बस गई, (सूरत थारी साँवळी) – 2।।

थे छोडो पण मैं ना छोड़ूँ, मैं तो थारो दास जी,
खाटू के घनश्याम मुरारी, रख दो सिर पर हाथ जी,
‘आलूसिंह’ की थां बिन, आँख्यां बावळी,
ई टाबर कै मन मं बस गई, (सूरत थारी साँवळी) – 2।।

लिरिक्स – श्रीआलूसिंघ जी महाराज