श्यामा म्हारे घरा ले चालू रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
सिया मरेलो रे सांवरा, जाढा मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
तर्ज – ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे।
खाटूवाले खारडे में, सियां मरेलो भाया,
ठंडी ठंडी भाल चालसी, थर थर कांपे काया,
थारा दांत कडाकड, बोले रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
म्हारे घरां छ गुदड़ा भाया, जाकैं सो सो कारी,
एक औडस्या, एक बिछास्या, रात काटस्यां सारी,
कैया नाके नाके डोले रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
माखन मिश्री थानै चाहिए, बाण पड़ी छ खोती,
म्हारे घरा छ बाजरा की, रूखी सुखी रोटी,
गुड़ को डलियों सागे, ले ले रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
आव आव तू बेगो आज्या, पकड़ आंगली म्हारी,
सर्दी मरता थर थर कापा, बाट जोवता थारी,
बाबा म्हारे सागे, होले रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
हरदम थारी सेवा करस्यू, नित उठ भोग लगास्यु,
धुप दिप नैवेध सजाकर, रोज आरती गांस्यु,
‘सोहन’ चरणा चित्त धर, बोले रे
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
श्यामा म्हारे घरा ले चालू रे,
पतली सी पीताम्बरी में सियां मरेलो रे,
श्यामा म्हारे घरा…
लिरिक्स – सोहन लाल जी लोहाकर