ओ बाबा तुमसे नहीं है कोई शिकवा गिला,
मुझको जो कुछ मिला तेरे दर से मिला ।।
बन के मन का मीत मेरे मुझको मिला तू,
तुमने पोंछ डाले मेरी अँखियो के आंसू,
ओ बाबा…
ओ बाबा सर पे हाथ धरके दिया मुझे हौंसला,
मुझको जो कुछ मिला तेरे दर से मिला,
ओ बाबा….।।
रूठा ज़माना एक तू ही नहीं रूठा,
मुझसे है बाबा तेरा दर नहीं छूटा,
ओ बाबा…
ओ बाबा दर तेरे आने का ना टूटा सिलसिला,
मुझको जो कुछ मिला तेरे दर से मिला,
ओ बाबा…।।
‘रोमी’ को तेरे रहते कुछ ना कमी है,
बड़ी मौज से कट रही ज़िन्दगी है,
ओ बाबा…
ओ बाबा भक्ति का तेरी पाया ऐसा सिला,
मुझको जो कुछ मिला तेरे दर से मिला,
ओ बाबा…।।
लिरिक्स – सरदार रोमी जी