हर घडी भोले दिल में, रहा कीजिये,
चरणों में प्रभु जी, जगह दीजिये ।।
तर्ज – साथिया नहीं जाना की ।
जो भी शरण में आया तुम्हारी,
उसको प्रभु जी निभाया,
मुझको भी निभाना, वचन दीजिये,
हर घड़ी भोले दिल में, रहा कीजिये ।।
मुझे क्या पता है हे मेरे मालिक,
कैसे भला हो हमारा,
जो भी आप चाहे वही कीजिये,
हर घड़ी भोले दिल में, रहा कीजिये ।।
जो भी किया है कैसे बताऊँ,
बताने के लायक नहीं है,
बालक हूँ तुम्हारा क्षमा कीजिये,
हर घड़ी भोले दिल में, रहा कीजिये ।।
‘बनवारी’ मेरी कोशिश यही है,
तुमको मैं अपना बना लूँ,
कोशिश ये हमारी सफल कीजिये,
हर घड़ी भोले दिल में, रहा कीजिये ।।
लिरिक्स – जयशंकर चौधरी जी