छाया रे बसंती रंग, लो फागुण आया रे-२,
याद श्याम की आई, फिर से चली रे पूरवाई-२,
छाया रे ………..
तर्ज – आया रे खिलोने वाला।
भक्तों ने खाटू की गलीयां है सजाई,
बाबा ने सबको आवाज़ लगाई,
आओ मेरे आँख के तारों, देर करो ना प्यारो-२,
छाया रे ………..
देखो सजी दुल्हन सी, खाटू की नगरीया,
सज-धज दुल्हा सा, बैठा है साँवरिया,
प्यारा-प्यारा श्याम सलोना, लग रहा सोना-सोना-२,
छाया रे ……….
श्याम ध्वजाओं का, सैलाब सा आया,
गूँज उठी जयकार, जादू सा है छाया,
लम्बी लगी कतारें, ये मदमस्त नजारे-२,
छाया रे ………..
साँवरे के मन्दिर में, खेलें आज होली,
थोड़ी शरारत हो, थोड़ी हो ठिठोली,
रंग अबीर उड़ाये, झूँमे नाँचे गाये-२,
छाया रे ………..