आओ गोविंद प्यारा आओजी,
मैं पकडूंलो चरखी थे तो पतंग उड़ाओ जी,
पतंग उड़ाओ जी, प्यारा पेच लड़ाओ जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
(तर्ज – ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे)
आओ गोविंद प्यारा आओ जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
पतंग उड़ाओ जी, प्यारा पेच लड़ाओ जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
चन्द्रमहल रा डागळा सूं, देखो राधा राणी,
सखियां रै संग पतंग उडावै, कर-कर खैंचा-ताणी,
थे बी पचरंगी लहरावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
लाल गुलाबी नीली पीळी, चमकीली अर भूरी,
राधा जी की सैं सूं ऊंची, बा देखो अंगूरी,
थोड़ो उण्डिनै दरसावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
चान्दधारी, आसमानी, आंखल, पट्टीदार,
डेढकन्नी, दडियल, पडियल, बढिया मांगलदार,
चायै जिमैं तंग डलवावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
जगमोहन रा डागळा सूं, आपांं करस्यांं लम्बी,
राधा जी जद देखैली तो, होवै निरी अचम्भी,
पाछै सह मं पेंच लडावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
राधागोविंद पतंग उडावै, बलिहारी नर-नार,
नील-गगन मं उड रयी सरपट, हो रयी जै-जैकार,
आणन्द सब नै ई लुटवावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो पतंग उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….
तान सुणावै राधागोविंद, बन्सी मधुर बजा’र,
परमानंद में ‘नवल’ सुनावै, चरणांं मं सिर नवा’र,
सबकी कटी पतंग लिपटावो जी,
मैं पकडूंला चरखी थे तो कनख उडावो जी,
आओ गोविंद प्यारा आओ जी….