श्री राधा मोहन श्याम शोभन, अंग पट पीताम्बरं ।
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
आरती आनदघन घनश्याम की अब कीजिये ।
कीजिये विनती हमें शुभ लाभ निश्चय दीजिये ।।
दीजिये निज भक्ति का वरदान श्री धर गिरिधरम ।
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
भाग्य दे हमको अभय शिव कामना कल्याण की ।
दे सुमति सुन्दर हमे सुन्दर सरस गुणगान की ।।
ज्ञान घन विज्ञान घन श्री भक्तवत्सल सुन्दरम ।
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
श्री राधा मोहन श्याम शोभन, अंग पट पीताम्बरं ।
जयति जय जय, जयति जय जय, जयति श्री राधा वरं ।।
लिरिक्स – पंडित नरेंद्र शर्मा