(दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट,
अंत काल पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट)
तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे,
राम सुमीर ले, ध्यान लगाले, छोड़ जगत के काम रे,
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ।।
माया में तू उलझा उलझा, दर दर धूल उडाये,
अब क्यों करता मन भारी, जब माया साथ छुडाए,
दिन तो बीता दोड़ धुप में, ढल जाये ना शाम रे,
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ।।
तन के भीतर पांच लुटेरे, डाल रहें हैं डेरा,
काम क्रोध मद लोभ मोह ने, तुझको कैसा घेरा,
भूल गया तू राम रटन, भूला पूजा का काम रे,
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ।।
बचपन बीता खेल खेल में, भरी जवानी सोया,
देख बुढापा अब तो सोचे, क्या पाया क्या खोया,
देर नहीं है अब भी बन्दे, लेले उसका नाम रे,
बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ।।