जैसा चाहो मुझको समझना,
बस इतना ही तुमसे कहना,
मांगने की आदत जाती नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं ।।
बड़े बड़े पैसे वाले भी तेरे द्वारे आते है,
मुझको है मालूम के वो भी तुझसे मांग के खाते हैं,
देने में तू घबराता नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं,
जैसा चाहो ।।
तुमसे बाबा शर्म करूँ तो और कहाँ मैं जाऊँगा,
अपने इस परिवार का खर्चा बोल कहाँ से लाऊंगा,
दुनिया तो बिगड़ी बनाती नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं,
जैसा चाहो ।।
तू ही करता मेरी चिंता खूब गुज़ारा चलता है,
कहे ‘पवन’ के तुझसे ज़्यादा कोई नहीं कर सकता है,
झोली हर कहीं फैलाई जाती नहीं,
तेरे आगे लाज मुझे आती नहीं,
जैसा चाहो ।।
लिरिक्स – पवन शर्मा