बालक हूँ मात तेरो, निजरां न थोड़ी फेरो लिरिक्स

Balak Hu Maat Tero Lyrics

खोटो हूँ या खरो हूँ, तेरे द्वार प पड्यो हूँ,
बालक हूँ मात तेरो, निजरां न थोड़ी फेरो ।। खोटो हूँ … ।।

तर्ज – गर तुम जुदा न होगे ।

थारे स के है छानी, सो क्यूई आप जाणो,
घट-घट मं वास थारो, मेरी पीड़ भी पिछाणो,
के बोल कर बताऊं, थाने तो सब है बेरो ।। बालक हूँ … ।।

हे सर्वसुख की दाता, हो भाग्य की विधाता,
है यो युगां स रिश्तो, म्हें बेटा आप माता,
किरपा करो भवानी, ममता की दृष्टि गेरो ।। बालक हूँ … ।।

थारो आदि अन्त मैया, कोई न जाण पायो,
ब्रह्माण्ड में है जो कुछ, सब आप को जचायो,
भक्तां की लाज राखो, असुरां न मार गेरो ।। बालक हूँ … ।।

पर्बत से आवो चलकर, नदियां को रूप धार्यां,
गंगा, जमुना, सरस्वती, घणे पापियां न तार्यो,
माँ ‘अजय’ न बणाले, थारे चरण को चेरो ।। बालक हूँ … ।।