सखी री बांके बिहारी से, हमारी लड़ गयी अँखियां लिरिक्स

Sakhi Ri Banke Bihari Se Humari Lad Gayi Akhiyan Lyrics

सखी री बांके बिहारी से, हमारी लड़ गयी अँखियां,
बचायी थी बहुत लेकिन, निगोड़ी लड़ गयी अँखियां ।।

तर्ज – स्वरचित ।

ना जाने क्या किया जादू, ये तकती रह गयी अँखियां,
चमकती हाय बरछी सी, कलेजे गड़ गयी अँखियां ।।

चहुं दिशि रस भरी चितवन, मेरी आँखों में लाते हो,
कहो कैसे कहाँ से, ये तो पीछे पड़ गयी अँखिया ।।

भले तन से जो निकले प्राण मगर यह छवि ना निकलेगी,
अँधेरे मन के मंदिर में, मणी सी गड़ गयी अँखियां ।।