खाटू को मेलो दिखा दे रसिया,
श्याम की नगरिया म्हाने प्यारी लागे ।। टेर ।।
तर्ज – मिश्री को बाग लगा दे रसिया ।
सपने में म्हाने खाटू दीखे, कद जास्याँ म्हारो मनड़ो पसीजे,
म्हाने रेल की टिकट कटवादे रसिया ।। १ ।।
आस पड़ोसी सगला जावे, मेरो भी मनड़ो ललचावे,
म्हाने बाबा जी से मिलबांने जाबांदे रसिया ।। २ ।।
ना मांगू मैं गहणों गूंठी, श्याम से मेरी प्रीत अनूठी,
हर बार तूं दरबार में ले ज्याये रसिया ।। ३ ।।
एक बार देख चाल कर मेलो, भूल जावेगो घर को गेलो,
इबके जोड़े से निशान उठास्यां रसिया ।। ४ ।।