ओ खाटू वाले तुमसे, इतना ही माँगना,
सांसों की डोर हमारी, हाथों में थामना ।। ओ खाटू ….. ।।
तर्ज – अफ़साना लिख रही हूँ ।
दौलत जो माँगे उनको, दौलत देकर टालना – २,
शोहरत जो माँगे उनको, शोहरत देकर टालना – २,
जो प्यार बचे वो मेरी, झोली में डालना ।। सांसो …. ।।
होठों पे नाम दिल में, सेवा का भाव हो-२,
दुखियों के दर्द बाटूं, उनसे लगाव हो-२,
अपनी रहमत से मेरा परिवार पालना ।। सांसो …. ।।
फैले ना हाथ मेरा, संसार के आगे – २,
मस्तक भी अगर झुके तो, सरकार के आगे – २,
बस एक नजर किरपा की, ‘मोहित’ पे डालना ।। सांसो …. ।।