श्याम तेरी महफ़िल का, अद्भुत ये नजारा है,
एक बर भी आये जो ‘ओ बाबा’ हो जाता तुम्हारा है ।। टेर ।।
तर्ज – बाबुल का ये घर बहना ।
दिल का शिकार करे, तूं ऐसा शिकारी है,
दिल देके ना उतरे जो, तेरी ऐसी खुमारी है,
डूबे जो इस सागर में ‘ओ बाबा’ पाये वो ही किनारा है ।। १ ।।
जिस ओर भी देखें हम, तेरी मुस्कान बिखरी है,
कहीं अंतर की खुशबू है, कहीं बंसी का सूर भी है,
तालियां निस्तब्ध करे ‘ओ बाबा’ गुणगान तुम्हारा है ।। २ ।।
ये चाँद सितारे भी, बने मेहफ़िल के दर्शक हैं,
‘निर्मल’ का सांवरिया, इतना आकर्षक है,
उपमा तेरी क्या करूं, तूं जग से न्यारा है ।। ३ ।।