सतरंगी मेला है आयो, चालो श्याम दुअरिया,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो,
श्याम प्रेमी लाखो आते, बाबा की नगरिया,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो॥
तर्ज – आन मिलो सजना।
पूरा साल है रहता इंतजार जी, कब आएगा फागुन् तेहवार जी,
लगता खाटू में लक्खी है मेला, आते बाबा के प्रेमी है हजार जी,
जी भर के वो मौज उड़ाते, बाबा की नगरिया,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो॥
कोई रेल और जहाज से आता, कोई रिंग्स से पैदल है आता ,
कोई श्याम निशान चढ़ाता, कोई डीजे भी साथ में लाता,
अरे सबकी इच्छा पुरी करता, मेरा श्याम है सावरिया,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो॥
खूब होते हैं श्याम भंडारे, होते कीर्तन और बजते हैं नगाड़े,
होता स्वर्ग सा नजारा खाटू धाम का, भक्त खूब लगाते हैं जयकारे,
बाबा के हैं प्रेमी पागल, ‘शंकर’ है चाकरिया,
आयो मेलो है फागनिया खाटू चलो॥
लेखक व गायक – शंकर यादव (7982956590)