भोले तेरे होते कैसे, अंखियां बहती जाय,
घट-घट के ओ वासी आजा, सेवक तुझे बुलाय ।।
तर्ज – गंगा तेरा पानी अमृत।
हाथ पकड़ले इस निर्बल का, दुनियां ने बिसराया,
हार गया हूँ हे भूतेश्वर, शरण तेरी मैं आया – बाबा-२,
तेरे रहते क्यूं कर बेटा, दर-दर ठोकर खाय ।। भोले ।।
मैंने मांगा प्यार जहां से, जग ने दी रुसवाई,
हाथ फिरादे तूं ही सिरपे, करले मेरी सुणाई,
थक सा गया हूँ दुखड़े सहके, और सहा न जाय ।। भोले ।।
बंद मिला मुझे हर दरवाजा, मैंने जहाँ पुकारा,
‘हर्ष’ हमेशा खुला ही रहता, भूतनाथ का द्वारा,
अंसुवन की भाषा तूं पढ़ले, मुख से कहा न जाय ।। भोले ।।
लिरिक्स – हर्ष जी