श्री हनुमान हृदय मालिका लिरिक्स (Hanuman Hridaya Malika)

Shri Hanuman Hridaya Malika Lyrics

प्रेमभक्तिं मुक्तिं शक्तिं सर्वसिद्धिं प्रदायकम् |
शिवरूपं परमशिवं सर्वशिवं जयो जयः ||

पवन पुत्र हनुमान विचित्र | कृपा कटाक्ष अत्र तत्र सर्वत्र ||१||
परम वैष्णव राम शुद्ध भक्त | विशाल देह तुम अतीव शक्त ||२||
करि अंजनी माता कठिन तप | पवनाहार देहे दिव्य उत्ताप ||३||
सप्त चिरंजीवी नामे तुम ख्यात | रुद्र दिव्य अंशु होइ तुमे जात||४||
तुमे हि सदा सदा श्रीराम दास | भजुछ राम तुमे प्रत्येक श्वास ||५||

राम लक्ष्मण माता सीता सहित | धारण करि तुमे हृदये नित ||६||
हृदय फाड़ि तुम देल प्रमाण | करइ तुम हृदे राम धारण ||७||
अशोक बने तुमे कल उत्पात | वृक्ष ताडि पूणि असुर संतप्त ||८||
सीता मातान्कु कल तुमे दरशन | प्रभुन्क अंगूठि देइ देल प्रमाण ||९||
करुणा निधान नाम मुखे उचारइ | जानकी माता नयनु लोतक झरइ ||१०||

करिल पूणि तुमे लंका दहन | तुम प्रकोपे धरणी प्रकंपन ||११||
स्वर्णर लंका हेला छारखार | रावण सेना भये थरहर ||१२||
कर्णरे कुंडल तुम कुंचित केश | मने तुम चिन्तन सदा श्रीनिवास ||१३||
हस्ते दिशे गदा अत्यन्त सुशोभित | सिंदूर मुख तुम दिशइ प्रशांत ||१४||
बाल काले तुमे भानु पाशे जाई | बाल सुलभ मन खाद भाबई ||१५||

एकशत अष्ट धरा व्यास जाहिँ | चक्षु पलके तुमे पार करइ ||१६||
शनि होइ तुम प्रिय मित्र हनुमान | तुम नाम नेले जेह्ने हुअइ प्रसन्न ||१७||
उठाइल पर्वत गंधमार्धन | ओषधे पोषणे जीवित लक्ष्मण ||१८||
अर्जुन रथ उर्धे तुमे बिराजील | राम नाम तुमे सदा हृदे धरिल ||१९||
अंजनी पुत्र केशरी सुनन्दन | तुम कृपे मिलइ राम मोहन ||२०||

तुमरि नाम नेले सबु संकट दूर | जय जय जय हनुमान महावीर ||२१||
तुम स्तुति कले हुए आत्म उन्नति | हृदये प्रष्पुटित सदा प्रभुभक्ति ||२२||
भूत असुर सबु जेते मंद शक्ति | तुम नामे नेले टले महा विपत्ति ||२३||
तुम कृपारे हरि भक्ति हुए प्राप्ति | अनन्त जनम कलेसू हुए मुक्ति ||२४||
संकट मोचन जय हनुमान | बजरंगबली महा बलवान ||२५||

भक्ति मुक्ति तुमे महाप्रीति दाता | तुम कृपे तरे भक्त महारास्ता ||२६||
हिमालय गिरी होइ तुम तपभूमि | राम प्रीत योगे लीन हनुमन्त स्वामी ||२७||
भविष्य कल्परे तुम सृष्टि कर्ता होइ | चतुरानन रूपे सृजन करइ ||२८||
मुक्त पुरुष रुद्र जय हनुमन्त | पारुनि कही तुम लीला अनन्त ||२९||
जय हनुमान दिव्य मारुती | करूअछि मुहिँ तुमर आरती || ३० ||

कहते कृष्णदास तुम दिव्य गाथा | हरि शरणे सदा रखी मूढ़ मथा ||३१||
हरि दर्शन मिलन प्रेम आशा | तुम दयारे पूरे सर्व पिपासा ||३२||
सद्गुरु रुपे तुमे होइण प्रकट | दिअ ज्ञान दूर कर महासंकट ||३३||
जेउँ नारी करइ पाठ एहा नित | संसार सुखमय स्वामी प्रीति प्राप्त ||३४||
विद्यार्थी जन करि एहा अध्ययन | सफल सिद्धि प्रापत सुखी जीवन ||३५||

संत साधव कले एहा पठन | हुए अविलम्बे हरि दरशन ||३६||
तरुणी कन्या पढ़ी हनुमान मालिका | मिले दिव्य ज्ञानी पति हुअइ सेविका ||३७||
श्रीराम जय राम जय जय राम | संकट मोचन जय सीता राम ||३८||
श्रीमालिका हनुमान हृदय | कहे कृष्णदास भक्त तनय ||३९||
प्रभु चरणे रहू सदा ता मन | प्रभु चिन्तने जाउ पुरा जीबन ||४०||

हनुमंतं रामभक्तं रुद्रअंशं ब्रह्मचारीं
पवनसुतं मारुतीं तवपदौ नमामि ||

|| इति श्री कृष्णदासः विरचित ‘श्री हनुमान हृदय मालिका’ सम्पूर्णम् ||