अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनों पे माता,
भीड़ पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो माँ,
करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहों से भी बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ॥
(अम्बे तू है जगदम्बे काली..)
माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत – कपूत सुने है पर ना,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती ।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ॥
(अम्बे तू है जगदम्बे काली..)
नही मांगते धन और दौलत,
ना चांदी ना सोना ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्परवाली ।
तेरे ही गुण गाए भारती,
ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ॥