( श्लोक:
राधा तू बड़भागिनी,
और कौन तपस्या किन,
तीन लोक के स्वामी है,
राधा सब तेरे आधीन )
मीठे रस से भरी राधारानी लागे महारानी लागे ।
म्हाने कारो कारो जमुना जी को पानी लागे ।
जमुना जी तो कारी-कारी राधा गोरी-गोरी ।
वृन्दावन में धूम मचावे, बरसाने की छोरी ।
बृजधाम राधारानी की रजधानी लागे । (म्हाने कारो)
कान्हा की नित मुरली सुनकर, सुमिरुं बारम्बार ।
कोटिन रूप धरे नन्दनन्दन कोऊ न पावे पार ।
रूपरंग की छबीली पटरानी लागे । (म्हाने कारे)
ना भावे म्हाने माखन मिसरी, ना कोई और मलाई ।
म्हारी तो जिवडल्या न भावे राधा नाम मलाई ।
बृषभानु की लाली तो गुण खानी लागे । (म्हाने कारो)
राधे-राधे नाम रटत है जो जन आठोधाम ।
उनकी बाधा दूर करत है केवल राधा नाम ।
राधा नाम से सफल जिन्दगानी लागे । (म्हाने कारो)