उंगली को पकड़ मेरी, चलना मुझे सिखलादो लिरिक्स

Ungli Ko Pakad Meri Chalna Mujhe Sikhlado Lyrics

उंगली को पकड़ मेरी, चलना मुझे सिखलादो,
भटके हुए राही है, मंजिल का पता देदो ।। टेर ।।

तर्ज – होंठो से छू लो तुम ।

मंजिल न मिली मुझको, दर दर मैं यूंही भटका,
कोशिश में कमी ना थी, पर काम सदा अटका,
अब हार गया हूँ मैं, रस्ता मुझे दिखलादो ।। १ ।।

हारे का सहारा हो, सबने मुझे बतलाया,
मैं हूँ सबसे हारा, सारे जग का ठुकराया,
अब डूबने से पहले, तिनका मुझे पकड़ादो ।। २ ।।

बस आसरा तेरा है, विश्वास तुम्हीं कान्हा,
मुश्किल है अब सहना, जो पूरे न हो अरमां,
पतवार पकड़ करके, भवसागर तरवादो ।। ३ ।।