जिसका कोई ना होता, उसके है श्याम कन्हाई,
भक्तों की पीड़ा मिटायी, श्याम भक्तों की पीड़ा मिटायी ।। टेर ।।
तर्ज – दुनियां बनाने वाले ।
स्वारथ की दुनियां सारी, स्वारथ के लोग हैं,
किसको तूं अपना समझे, झूठे सारे भोग हैं,
जीवन मिला है इसे यूं ना गंवाना,
करके जतन प्रेम, प्रभु से बढ़ाना,
कीर्तन करले श्री हरि का, ये है बड़ा सुखदायी ।। १ ।।
बंधन माया के बन्दे कटे ना कटाये,
मुश्किल है बचना इनसे, ऐसे लिपटाये,
नाम हरि का ऐसी आरी है प्यारे,
पलभर में बंधन काटे, बनता सहारे,
चिन्तन करले श्री हरि का, चिन्तन ही साँची दवाई ।। २ ।।
निर्बल सबल बन जाता, जगता जमीर है,
कीर्तन भजन में प्यारे, किसीका न सीर है,
मस्ती के सागर माहीं डुबकी लगाले,
डुबकी लगाके ‘नन्दू’ श्याम गुण गाले,
बरसेगा प्रेम गगन से दिल से जो अरज लगायी ।। ३ ।।
लिरिक्स – नन्दू जी