दरबार हैं निराला, खाटू के श्याम का,
जग हो रहा दीवाना, खाटू के श्याम का ।।
श्री श्याम को रिझाने, चले आ रहे दीवाने,
धरती पे स्वर्ग उतरा, कोई माने या ना माने,
कोई माने या ना माने,
डंका तो बज रहा हैं, खाटू के श्याम का,
दरबार हैं निराला, खाटू के श्याम का ।।
जयकार गूंजती हैं, भक्ति को चूमती हैं,
ऐसी लगी लगन की, मस्ती भी झूमती हैं,
मस्ती भी झूमती हैं,
गुणगान हो रहा हैं, खाटू के श्याम का,
दरबार हैं निराला, खाटू के श्याम का ।।
श्रृंगार हैं गजब का, ये निखार हैं गजब का,
धन धान्य सुख लुटावे, दातार हैं गजब का,
दातार हैं गजब का,
भंडार लुट रहा हैं, खाटू के श्याम का,
(जग हो रहा दीवाना खाटू के श्याम का),
दरबार हैं निराला, खाटू के श्याम का ।।