बाबा मेरे जीवन मैं कोई बात न होती,
जो तेरी कृपा की, प्रभु बरसात ना होती ।।
तर्ज – बीते हुए लम्हों की कसक साथ ना होती ।
तकदीर के, लिखे को, प्रभु तुमने संवारा,
दर-दर पे भटकता, यूं ही, बदहाली का मारा,
जो झोली में इस दर की-२,
ये खैरात ना होती ।
बाबा मेरे जीवन मैं कोई बात न होती ।।
जो तोड़ दिए होते, दुनिया के, ये बंधन,
गर तुझ पे भरोसा, किया होता, मेरे भगवान,
फिर मेरी तेरे जग में-२,
कभी मात ना होती ।
बाबा मेरे जीवन मैं कोई बात न होती ।।
मिलते ना जो, तुम मुझको, मलिक के रूप में,
जल जाते पैर बाबा, ‘पंकज’ के धूप में,
तेरे प्यार की छाया -२,
जो मेरे साथ ना होती ।
बाबा मेरे जीवन मैं कोई बात न होती ।।
लिरिक्स – पंकज अग्रवाल जी