छोटा सा फूल हूँ मैं तेरे गुलजार का – २,
अदना सा चाकर हूँ मैं तेरे दरबार का ।। टेर ।।
तर्ज – सौ साल पहले मुझे ।
सर माथे रखो मेरे श्याम, या हमको अपनी चरण रखना,
बस ध्यान रहे इतना, सदा अपनी शरण रखना,
धागा बना लो स्वामी अपने ही हार का – २ ।। अदना सा चाकर…
हर राह में रहते हो तुम्ही, कण-कण के वासी हो,
रहते हो सभी जगह, खाटू मथुरा या काशी हो,
चौखट बनालो दाता अपने ही द्वार का – २ ।। अदना सा चाकर…
मेरा खाटू वाला श्याम, सदा ही प्यार लुटाता है,
जग की सारी खुशियां, सदा हम पर बरसाता है,
मेरा सहारा है तूं मेरे संसार का – २ ।। अदना सा चाकर..
जब श्याम कृपा होती, हमें तेरे प्रेमी मिलते हैं,
जीवन भर निभ जाये, यही बस सोचा करते हैं,
कहे ‘गोपाल’ सब कुछ दिया दातार का – २ ।। अदना सा चाकर…